मैं हूं भी कि नही ( Me Hu Bhi Ki Nahi ) | Kanchi | Hindi Poetries ( हिंदी कविताएं ) | 257 Pages
मैं हूं भी कि नही ( Me Hu Bhi Ki Nahi ) | Kanchi | Hindi Poetries ( हिंदी कविताएं ) | 257 Pages
Kanchi
New Edition
Couldn't load pickup availability
Literature and हिंदी कविताएं
It's a coloured Books.
जीवन एक रहस्य है और हमारा अस्तित्व एक अबूझ पहेली और खुद को जानने की इस यात्रा के लिए कोई नक्शा या गूगल मैप उपलब्ध नहीं है। मैं हूं भी कि नहीं उस अंतर यात्रा के कुछ अद्भुत अनुभवों को कविता के रूप में बुनने का प्रयास है । इनमें प्रेम, प्यास, वननैस, दिव्यता, अनंतता, टाइमलेसनेस, व मौन क्षणों की अविस्मरणीय अनुभूतियों को पिरोया गया है। मन की गहराइयों में चुपचाप उतरकर, बिना हलचल के स्वयं और इस सृष्टि के नज़ारों को देखना एक जादुई अनुभव है और यह कविताएं पाठकों को स्वयं के साथ कुछ क्षण बिताकर उस आयाम में प्रवेश करने के लिए प्रेरित करती हैं ।
एहसासों को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता लेकिन दिल इंटरप्रेट कर लेता है इसलिए गुज़ारिश है कि इस किताब को माइंड से नहीं दिल से पढ़ें ।
