Kuch Kahe Kuch Ankahe Fasaane ( कुछ कहे कुछ अनकहे फ़साने ) | Alka Singh ( अलका सिंह )
Kuch Kahe Kuch Ankahe Fasaane ( कुछ कहे कुछ अनकहे फ़साने ) | Alka Singh ( अलका सिंह )
Alka Singh ( अलका सिंह )
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Literature and हिंदी कहानियाँ
मेरी कहानियों के लिए ये नहीं पूछा जाएगा कि moral of the story क्या है?
वो, खाली बैठे हुए कभी कुछ खयाल जो आपके मन में आते हैं ना, वो मेरी कविता है।
वो,लंबी यात्रा में निकले दूर क्षितिज को निहारते हुए जो आप सोचती हैं ना, वो मेरी कहानी है।
वो मटर छीलते हुए जो आप अपनी जिंदगी से गम छिलती हैं ना,वो मेरी कविता है।
वो, बुनते हुए जो आप अपनी कहानी का ताना बाना बुनती हैं ना, वो मेरी कहानी है।
वो,सखियों से बात करते हुए जो एक रुका हुआ आँसू टपक जाता है ना, वो मेरी कविता है।
वो, भीड़ के बीच, चहल पहल में कभी जो आप खुद को तन्हा पाती हैं ना, वो मेरी कहानी है।
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अलका सिंह, एक गृहलक्ष्मी और लेखिका हैं। इनके पिताजी CRPF में थे, तो इन्होंने देश के अलग-अलग शहरों में केंद्रीय विद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी है। इन्होंने जम्मू यूनिवर्सिटी से B. A. करके मणिपुर यूनिवर्सिटी से B. Ed. किया। कुछ समय बच्चों को पढ़ाया। एक फौजी से शादी के बाद फिर काले बक्सों में जीवन समेट कर चल पड़ी एक और सफर पे। “उद्गार मन के” इनकी पूर्व प्रकाशित पुस्तक है, जो कि एक कविता संग्रह है। पहली पुस्तक को पाठकों द्वारा मिले असीम प्रेम के बाद इन्होंने अपनी दूसरी पुस्तक “कुछ कहे-कुछ अनकहे फसाने” कहानी संग्रह पर कार्य किया। लेखिका के अनुसार इस पुस्तक में हम सबके जीवन से जुड़ी कहानियाँ हैं, जिनमें प्रेम है, पीड़ा है, हँसी है, खुशी है, निराशा है, उम्मीद है, मिलना है, बिछड़ना है। विभिन्न किरदार, विभिन्न परिस्थितियाँ, विभिन्न किस्से।
