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मानस ( Manas ) : महाभारत न्याय समिति | विवेक दत्त मिश्रा ( Vivek Dutta Mishra )

मानस ( Manas ) : महाभारत न्याय समिति | विवेक दत्त मिश्रा ( Vivek Dutta Mishra )

विवेक दत्त मिश्रा ( Vivek Dutta Mishra )

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New Edition

Religion & spirituality, हिंदी कविताएं, Myths, Legends & Sagas, and Mythology

धर्म-अधर्म की सीख कुतर्क विवादों में कहीं खो ही जाएगी,
सिंहासन का लोभ ही महाभारत को परिभाषित कराएगी।
पर कोई न जाने तो भी धर्म, धर्म ही रहेगा,
कोई न समझे तो भी धर्म ही धरा का भार वहन करेगा।
आइए फिर से चर्चा करें क्यों भारत खड़ा हुआ था कुरुक्षेत्र में,
कौन धर्म पर रहा और किसने धरा पग अधर्म क्षेत्र में।
महाभारत न्याय समिति ये चर्चा आज कहलाएगी,
हर किसी से उसके कृत्य के औचित्य से अवगत कराएगी।
हे मानस, पूछ प्रश्न, नवीन संहिता रच जाने दे,
मेरे उत्तर से पुरातन संस्कृति को कुछ और उभर जाने दे।
चल आज तेरे कौतूहल को ना गौण करूंगा,
मैं था ईश्वर अवतार, कहकर नहीं तेरे प्रश्न को मौन करूंगा।


महाभारत युद्ध के वर्षों बाद, जब श्री कृष्ण महाप्रयाण करते हैं, पांडव भी अनंत में विलीन होने की मंशा से हिमालय की ओर प्रयाण करते हैं, जहाँ धर्मराज को छोड़ अन्य भ्राता और द्रौपदी बारी बारी से हिम में गिर विलीन हो जाते हैं। धर्मराज अकेले ही सशरीर स्वर्ग पहुंचते हैं जहाँ वो पाते हैं कि दुर्योधन स्वर्ग के ऐश्वर्य का उपभोग कर रहा है और जबकि सभी पांडव भ्राता नर्क की यातना झेल रहे हैं। ऐसे अन-अपेक्षित दृश्य को देख धर्मराज व्यथित हो जाते हैं और इसका विरोध करते हैं। यहाँ तक की कथा महाभारत के स्वर्गारोहण पर्व में वर्णित है।

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मानस ( Manas ) : महाभारत न्याय समिति | विवेक दत्त मिश्रा ( Vivek Dutta Mishra )
मानस ( Manas ) : महाभारत न्याय समिति | विवेक दत्त मिश्रा ( Vivek Dutta Mishra )978-9392445361
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